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भारत वैश्विक हरित ऊर्जा मांग का नेतृत्व करने के लिए तैयार है: हरदीप सिंह पुरी
केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि सौर ऊर्जा की कम लागत और प्रचुरता तथा पावर ग्रिड में निवेश के कारण भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में स्वाभाविक लाभ है।
हरित हाइड्रोजन पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत के पास काफी संभावनाएं हैं, क्योंकि इसके पास दुनिया के सबसे बड़े सिंक्रोनस ग्रिडों में से एक है, जो अक्षय ऊर्जा को संभाल सकता है और देश की स्थापित सौर क्षमता 2014 में 2.6 गीगावाट से 32 गुना बढ़कर अब 85.5 गीगावाट हो गई है।
भारत वैश्विक हरित ऊर्जा मांग और विविध क्षेत्रों में बढ़ती घरेलू मांग का नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
पुरी ने कहा कि 2030 तक 500 गीगावाट के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश में 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों ने भारत के हरित विकास के लिए 27 अरब अमेरिकी डॉलर तक का वचन दिया है।
उन्होंने कहा, "हमारे देश में उपलब्ध इंजीनियरिंग प्रतिभा के साथ, भारत का हरित अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण सुचारू होगा, जिससे देश को हरित हाइड्रोजन के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में अपनी स्थिति बनाने में मदद मिलेगी।"
सरकार ने 2030 तक 5 मिलियन टन उत्पादन लक्ष्य और संबंधित अक्षय ऊर्जा क्षमता के विकास के साथ ग्रीन हाइड्रोजन नीति लागू की है। कैबिनेट ने 19,744 करोड़ रुपये के शुरुआती परिव्यय के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि नीति के तहत सरकार 30 जून 2025 से पहले चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्माताओं को 25 वर्षों के लिए अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क की छूट जैसे प्रोत्साहन प्रदान करती है जिससे उत्पादन में तेजी आएगी।
पुरी ने कहा, "मिशन के लक्ष्यों की प्राप्ति से 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये की कमी आने की उम्मीद है। इससे 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होने और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।"
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, " ग्रीन हाइड्रोजन के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखला अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है। भारत को नियमित उत्पादन, भंडारण और परिवहन संबंधी मुद्दों के अलावा हरित वित्तपोषण, हाइड्रोजन व्यापार मार्ग, मानव संसाधन कौशल विकास और स्टार्ट-अप पहल जैसे मुद्दों की बारीकियों पर भी विचार करना चाहिए।"
उद्योग जगत से सहयोग का आग्रह करते हुए पुरी ने कहा कि अगर देश खुद को दुनिया के हरित हाइड्रोजन केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है तो उसे सभी हितधारकों के बीच सक्रिय समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।
शिखर सम्मेलन में बोलते हुए केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि हरित हाइड्रोजन स्थिरता की दिशा में आगे बढ़ने का एक तरीका है।
प्रहलाद जोशी ने कहा, "भारत हरित हाइड्रोजन बाजार में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बनने की ओर अग्रसर है, इसीलिए हमने हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। भारत के ऊर्जा मिश्रण और औद्योगिक प्रक्रिया के बीच हरित हाइड्रोजन को एकीकृत करने से न केवल हमारी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक लक्ष्य भी पूरे होंगे।"