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अमेरिकी टैरिफ से भारत में लाखों नौकरियों को खतरा: सीटीआई

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अमेरिकी टैरिफ से भारत में लाखों नौकरियों को खतरा: सीटीआई
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चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अमेरिका द्वारा लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ प्रमुख भारतीय उद्योगों को तबाह कर सकता है और लाखों भारतीयों की आजीविका को खतरे में डाल सकता है । सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा, "50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ का भारत के कपड़ा, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, ऑटो कलपुर्जे, रसायन, फार्मा, समुद्री खाद्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा ।"उन्होंने बताया कि बढ़े हुए टैरिफ के कारण भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धियों की तुलना में 35 प्रतिशत तक महंगे हो जाएंगे, जिससे खरीदार अन्यत्र देखने को मजबूर होंगे।सीटीआई के अनुसार, इस बढ़ोतरी से 48 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा मूल्य के भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों, जिनका पिछले साल 1.7 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, पर भारी असर पड़ने की आशंका है। इसी तरह, 90,000 करोड़ रुपये के रत्न और आभूषण निर्यात और भारत के तेज़ी से बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात पर भी गंभीर संकट मंडरा रहा है।जिन उत्पादों पर पहले 10 प्रतिशत टैरिफ लगता था, अब उन पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगेगा, जिससे अमेरिकी खरीदारों के लिए लागत में भारी वृद्धि होगी।

पिछले साल 92,000 करोड़ रुपये मूल्य के दवा निर्यात को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। पहले अमेरिका में शुल्क-मुक्त आने वाली दवाओं की कीमतें अब 50 प्रतिशत बढ़ जाएँगी, जिससे भारतीय दवा कंपनियों को वियतनाम जैसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं की तुलना में नुकसान होगा।हालाँकि, इन नुकसानों के बावजूद, गोयल ने सरकार को सलाह दी कि भारत को अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाकर अमेरिका द्वारा की गई भारी शुल्क वृद्धि का कड़ा जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा, " भारत को इस दबाव से नहीं डरना चाहिए। हमें अमेरिकी आयात पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और साथ ही जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में नए बाज़ार तलाशने चाहिए, जहाँ इंजीनियरिंग वस्तुओं की माँग बढ़ रही है। हमें जवाबी शुल्क लगाकर अमेरिका को सबक सिखाना होगा।"प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में गोयल ने आग्रह किया कि भारत को खनिज, कीमती पत्थर, धातु, विमान उपकरण, प्लास्टिक और रसायन जैसे अमेरिकी आयातों पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए।अमेरिकी सरकार का यह निर्णय 27 अगस्त से प्रभावी होगा, तथा 7 अगस्त से लागू 25 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त यह निर्णय लिया गया है।सीटीआई महासचिव राहुल अदलखा और राजेश खन्ना ने यह भी बताया कि अमेरिका को भारत के निर्यात में 53 प्रतिशत फार्मास्यूटिकल्स, 53 प्रतिशत कपड़ा और परिधान, 37 प्रतिशत रत्न और आभूषण, 28 प्रतिशत ऑटो घटक, 13 प्रतिशत रसायन और 22 प्रतिशत समुद्री खाद्य शामिल हैं।उन्होंने व्यापारियों के बीच इस बात को लेकर व्यापक भ्रम की स्थिति का उल्लेख किया कि टैरिफ का पहले से भेजे जा चुके या पारगमन में मौजूद माल पर क्या प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वाशिंगटन प्रशासन द्वारा इस बारे में कोई स्पष्टता प्रदान नहीं की गई है। 



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