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केरल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर 'केरलम' करने का प्रस्ताव दूसरी बार पारित किया
केरल सरकार राज्य का नाम बदलकर मलयाली उच्चारण क्रेरलम करना चाहती है। इससे पहले पिछले साल राज्य विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया था जिसे 9 अगस्त 2023 को पारित किया गया था, लेकिन प्रक्रियागत मुद्दों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने इसे वापस कर दिया था।
केरल का नाम जल्द ही बदलकर केरलम हो सकता है क्योंकि राज्य विधानसभा ने 24 जून को भारी बहुमत से इस दिशा में एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में भारतीय संविधान की अनुसूची 1 में संशोधन करने की बात कही गई थी ताकि राज्य का नाम 'केरल' से बदलकर 'केरलम' किया जा सके।
विधानसभा में पेश प्रस्ताव में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रथम अनुसूची में इस परिवर्तन को लागू करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के क्रियान्वयन का आह्वान किया।
उल्लेखनीय है कि संविधान की अनुसूची 1 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम हैं तथा अनुच्छेद 3 नए राज्यों के गठन तथा मौजूदा राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित है।
पिछले साल लाया गया था प्रस्ताव
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब केरल सरकार इस तरह का प्रस्ताव लेकर आई है। पिछले साल भी राज्य सरकार ने इस दिशा में एक प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन प्रक्रियागत मुद्दों के कारण केंद्र सरकार ने इसे वापस कर दिया था। इससे पहले के एक प्रस्ताव में केरल ने संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं के नामों को संशोधित कर 'केरलम' करने की मांग की थी। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केवल पहली अनुसूची में संशोधन करने का सुझाव दिया, जिससे केरल द्वारा 9 अगस्त, 2023 को पारित प्रस्ताव में संशोधन हो गया।
मलयालम नाम होगा 'केरलम'
सीएम विजयन ने कहा है कि राज्य का मलयालम नाम 'केरलम' होने के बावजूद इसे आधिकारिक तौर पर 'केरल' के रूप में दर्ज किया गया है। प्रस्ताव का उद्देश्य आधिकारिक नाम को मलयालम उच्चारण से जोड़ना है। चर्चा के दौरान, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के एन. समसुद्दीन ने केंद्र द्वारा अस्वीकृति को रोकने के लिए प्रस्ताव में संशोधन का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रस्ताव को अंततः सदन ने खारिज कर दिया। उन्होंने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की जो मूल प्रस्ताव में "चूक" के लिए जिम्मेदार थे।