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जनवरी-मार्च तिमाही में भारतीय पीएसयू बैंकों के बाजार पूंजीकरण में गिरावट
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस डेटा और विश्लेषण के अनुसार, जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में अपने मार्केट कैप में गिरावट दर्ज करने वाले 12 सबसे बड़े भारतीय बैंकों में से सात सरकारी स्वामित्व वाले थे।
इंडियन ओवरसीज बैंक ने अपने मार्केट कैप में 24.7 प्रतिशत की तिमाही-दर-तिमाही गिरावट दर्ज की, जो 736.63 बिलियन रुपये थी।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में
19.8 प्रतिशत की गिरावट आई । एचडीएफसी बैंक ने सबसे बड़े भारतीय बैंक के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी, जिसका बाजार पूंजीकरण तिमाही-दर-तिमाही 3.2 प्रतिशत बढ़कर 13.989 ट्रिलियन रुपये हो गया।
बाजार पूंजीकरण या मार्केट कैप किसी कंपनी के स्टॉक का कुल मूल्य है, जो स्टॉक मूल्य को उसके बकाया शेयरों की संख्या से गुणा करके प्राप्त किया जाता है।
कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड ने अपने मार्केट कैप में सबसे बड़ा सुधार दर्ज किया, जो 21.6 फीसदी बढ़कर 4.317 ट्रिलियन रुपये हो गया।
इसके अलावा, एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस डेटा के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड और एक्सिस बैंक मार्केट कैप रैंकिंग में शीर्ष पांच में शामिल थे। आईसीआईसीआई बैंक का मार्केट कैप 5.3 फीसदी बढ़कर 9.529 ट्रिलियन रुपये और एक्सिस बैंक का 3.5 फीसदी बढ़कर 3.412 ट्रिलियन रुपये हो गया।
इंडसइंड बैंक लिमिटेड ने कुल मिलाकर मार्केट कैप में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की। निजी क्षेत्र के इस बैंक ने अपने मार्केट कैप में तिमाही-दर-तिमाही 32.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो 506.27 बिलियन रुपये है। संपत्ति के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बैंक,
भारतीय स्टेट बैंक , मार्केट कैप के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा ऋणदाता था, हालांकि तिमाही के दौरान इसका पूंजीकरण 2.9 फीसदी गिरकर 6.660 ट्रिलियन रुपये हो गया।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस डेटा से पता चला है कि तीन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों - यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड - ने पहली तिमाही के दौरान अपने मार्केट कैप में बढ़ोतरी दर्ज की है।
बैंकों के मार्केट कैप में गिरावट शायद पिछले कुछ महीनों में बेंचमार्क इंडेक्स में आई गिरावट से जुड़ी हो सकती है। प्रमुख भारतीय सूचकांकों में बैंकिंग शेयरों का भार सबसे अधिक है।
बेंचमार्क सेंसेक्स पिछले साल सितंबर में छुए गए अपने सर्वकालिक शिखर से 10,000 अंक से अधिक नीचे है। अपेक्षाकृत कम जीडीपी वृद्धि पूर्वानुमान, कमजोर कॉर्पोरेट आय, विदेशी फंड का बहिर्वाह और हाल ही में टैरिफ युद्ध ने बाजार प्रतिभागियों की भावना को कमजोर कर दिया है।
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