बुलन्दशहर के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज गौतम 2017 के मामले में बरी
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज गौतम को 2017 में दर्ज एक मामले में अपने भाई विनोद कुमार की कथित हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया है।
इस वर्ष 20 जनवरी को बुलंदशहर में विशेष न्यायाधीश विजय पाल की अदालत ने बरी करने का आदेश सुनाया ।
जांच के अनुसार गौतम और अन्य सह-आरोपियों को 2017 में पुलिस स्टेशन खुर्जा नगर, बुलंदशहर के तहत दर्ज एफआईआर संख्या-112 में झूठा फंसाया गया था।
एफआईआर आईपीसी की धारा 302/309/120बी/201/34, आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/27 और एससी एवं एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2)(वी) के तहत दर्ज की गई थी।
जांच में पाया गया कि गौतम को उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने झूठा फंसाया था।
आदेश में कहा गया है कि पुलिस गौतम और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए उद्धृत परिस्थितिजन्य साक्ष्य स्थापित करने में असमर्थ रही है। पुलिस यह भी साबित करने में विफल रही है कि हत्या में मनोज गौतम की लाइसेंसी पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया था। इसलिए, परिस्थितियों के अनुसार, मनोज गौतम को आरोपों का दोषी नहीं पाया गया है, अदालत के आदेश में कहा गया है।
घटना के समय गौतम राष्ट्रीय लोकदल से खुर्जा विधानसभा सीट के उम्मीदवार थे।
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