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भारत में रबी फसल की बुवाई 632 लाख हेक्टेयर से अधिक हुई
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में रबी फसलों की बुवाई का रकबा 632 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है।
मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 315.63 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष गेहूं की बुवाई का रकबा लगभग 320 लाख हेक्टेयर हो चुका है।
दलहनों के तहत लगभग 139.81 लाख हेक्टेयर और श्री अन्ना एवं मोटे अनाजों के तहत 53.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
रबी सीजन अक्टूबर से मार्च तक चलता है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने पहले विपणन सत्र 2025-26 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) में वृद्धि को मंजूरी दी थी। सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है। एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि रेपसीड और सरसों के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के लिए 275 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा की गई है। चना, गेहूं, कुसुम और जौ के लिए क्रमशः 210 रुपये प्रति क्विंटल, 150 रुपये प्रति क्विंटल, 140 रुपये प्रति क्विंटल और 130 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। विपणन सत्र 2025-26 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है। अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 105 प्रतिशत है, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत; मसूर के लिए 89 प्रतिशत; चने के लिए 60 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत; और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है। रबी फसलों के इस बढ़े हुए एमएसपी से किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।